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एनआईए ने पीएफआई कार्यालयों पर की अब तक की सबसे बड़ी जांच

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ केंद्र की विभिन्न एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई की है। देश के 11 राज्यों में 106 जगहों पर अब तक 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसमें संगठन के कई बड़े नेता शामिल हैं। बताया जाता है कि इस कार्रवाई की पूरी पटकथा केंद्रीय गृह […] The post एनआईए ने पीएफआई कार्यालयों पर की अब तक की सबसे बड़ी जांच appeared first on OTT India.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ केंद्र की विभिन्न एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई की है। देश के 11 राज्यों में 106 जगहों पर अब तक 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसमें संगठन के कई बड़े नेता शामिल हैं। बताया जाता है कि इस कार्रवाई की पूरी पटकथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 29 अगस्त को हुई बैठक में लिखी गई थी। इस बीच शाह ने पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी।

इस बीच, आदित्यनाथ ने PFI पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की। इस बैठक में पूरी योजना बनाकर पूरे देश में एक साथ कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। एएनआई की टीम ने गृह मंत्रालय को बताया कि ऐसे 12 मामले हैं। जिसमें आतंकी मॉड्यूल शामिल हैं जो भारत में आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही इसका संबंध पीएफआई से भी है।

पीएफआई

कुछ दिन पहले दिल्ली में हुई हिंसा। इसके अलावा पुलवामा में जिस आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ था। पता चला कि इन सब में पीएफआई का हाथ है। उसके बाद योगी आदित्यनाथ जैसे बड़े नेताओं ने शाह से इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया। इसके बाद उच्च स्तरीय बैठक हुई। जिसमें खुद अमित शाह, एनआईए, आईबी और रॉ के मुख्य अधिकारी मौजूद थे। इसके अलावा इस बैठक में ईडी के अधिकारियों को भी बुलाया गया था।

इस बैठक में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी जुटाने और एक डोजियर तैयार करने को कहा गया। यह रिपोर्ट मिलने के बाद शाह ने फिर एएनआई और ईडी के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें पैन इंडिया कार्रवाई का आदेश दिया गया था। जिसमें उस राज्य की एजेंसियों ने एनआईए के अधिकारियों की मदद की।

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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) क्या है?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की स्थापना 17 फरवरी 2007 को हुई थी। इस संगठन का गठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों को मिलाकर किया गया था। इनमें नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ केरल, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु की मनिथा नीति पसराय शामिल हैं।

पीएफआई का दावा है कि फिलहाल यह संगठन देश के 23 राज्यों में सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट (सिमी) पर प्रतिबंध लगने के बाद पीएफआई का तेजी से विस्तार हुआ। कहा जाता है कि कर्नाटक और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन का बहुत प्रभाव है। इसकी कई शाखाएँ भी हैं, जिनमें महिलाओं के लिए राष्ट्रीय महिला अघाड़ी और छात्रों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया शामिल हैं। राजनीतिक दल एक दूसरे पर चुनाव के दौरान मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाते हैं।

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