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क्या मैरिटल रेप अपराध होना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस

03:34 PM Jul 31, 2023 | OTT India

वैवाहिक दुष्कर्म को पत्नी की मर्जी के खिलाफ जबरन शारीरिक संबंध बनाने के अपराध के दायरे में लाया जाए या नहीं, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी कर केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट इस मामले पर 14 मार्च से अंतिम सुनवाई करेगी।
मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई।
पिछले साल 16 सितंबर को मैरिटल रेप अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर सुनवाई के लिए राजी हो गया था। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के दो जजों ने 11 मई 2022 को अलग-अलग फैसला सुनाया था। 

भारतीय कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार कानूनी अपराध नहीं है। कई संगठन कई दिनों से इसे अपराध घोषित करने की मांग कर रहे हैं। 
आज की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों से तीन मार्च तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कह। 
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले का बड़ा असर होगा। हमने कुछ महीने पहले सभी हितधारकों से राय मांगी थी। सरकार इस मामले में जवाब दाखिल करना चाहती है।

याचिकाकर्ता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) के तहत एक अपवाद के रूप में वैवाहिक बलात्कार की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।
इस धारा के अनुसार, जब तक पत्नी नाबालिग न हो, अगर कोई विवाहित महिला अपने पति की इच्छा के विरुद्ध उसके साथ संभोग करती है, तो उसे बलात्कार नहीं माना जाता है। इससे पहले हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए बार-बार समय मांगने की केंद्र सरकार की नीति पर नाराजगी जताई थी।
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