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अब से अल्पसंख्यक छात्रों को नहीं मिलेगी यह स्कॉलरशिप; मोदी सरकार का एक और फैसला

अल्पसंख्यक छात्रों को अब नहीं मिलेगी ‘मौलाना आजाद स्कॉलरशिप’ क्योंकि, केंद्र सरकार ने इस स्कॉलरशिप पर रोक लगा दी है। माइनॉरिटी वेलफेयर मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने यह जानकारी दी।केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए चलाई जाने वाली ‘मौलाना आजाद फेलोशिप’ को बंद कर दिया है। यह छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा (अनुसंधान) के लिए प्रदान की जाती थी। अल्पसंख्यक कल्याण मंतà
अल्पसंख्यक छात्रों को अब नहीं मिलेगी ‘मौलाना आजाद स्कॉलरशिप’ क्योंकि, केंद्र सरकार ने इस स्कॉलरशिप पर रोक लगा दी है। माइनॉरिटी वेलफेयर मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने यह जानकारी दी।
केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए चलाई जाने वाली ‘मौलाना आजाद फेलोशिप’ को बंद कर दिया है। यह छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा (अनुसंधान) के लिए प्रदान की जाती थी। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में कांग्रेस सदस्य टीएन प्रतापन के एक सवाल का जवाब देते हुए छात्रवृत्ति बंद करने की जानकारी दी। इससे पहले केंद्र सरकार ने प्री-मैट्रिक स्तर पर अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति पर भी रोक लगा दी थी। 
MANF योजना भी 2022-23 से बंद हो गई
लोकसभा में कांग्रेस सदस्य टीएन प्रतापन द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए, स्मृति ईरानी ने कहा कि MANF योजना सरकार द्वारा लागू उच्च शिक्षा के लिए अन्य फैलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है। ऐसे में अल्पसंख्यक छात्र ऐसी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, इसलिए सरकार ने 2022-23 से MANF योजना को बंद करने का फैसला किया है।
केंद्र सरकार मुस्लिम विरोधी – टीएन प्रतापन
ईरानी ने आगे कहा, यूजीसी के आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 और 2021-22 के बीच, इस योजना के लिए 738.85 करोड़ रुपये जारी किए गए। इस दौरान कुल 6722 विद्यार्थियों को योजना का लाभ मिला। हालांकि प्रतापन स्मृति ईरानी के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने केंद्र सरकार को मुस्लिम विरोधी बताया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के बंद होने से अल्पसंख्यक छात्रों का शोध कार्य प्रभावित होगा।
यह योजना सच्चर कमेटी की सिफारिशों के बाद लागू की गई थी
सच्चर कमेटी की सिफारिशों के बाद 2005 में मौलाना आज़ाद छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई थी। उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्तर का पता लगाने के लिए सच्चर कमेटी का गठन किया गया था।
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