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Vehicle Insurance : वाहन बीमा कराने जा रहे है तो जान लीजिए ये 5 शर्ते, नहीं करना पड़ेगा परेशानियों का सामना…

Vehicle Insurance : यदि आपने हाल ही में कोई वाहन जैसे कार या बाइक खरीदी है तो जाहिर है आपने अपने वाहन का इंश्योरेंस भी करा लिया होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसे कई उपभोक्ता है जिन्हें इंश्योरेंस के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। ऐसे में कई उपभोक्ता ऑनलाइन और […]

Vehicle Insurance : यदि आपने हाल ही में कोई वाहन जैसे कार या बाइक खरीदी है तो जाहिर है आपने अपने वाहन का इंश्योरेंस भी करा लिया होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसे कई उपभोक्ता है जिन्हें इंश्योरेंस के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। ऐसे में कई उपभोक्ता ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से इसके बारे में जानना चाहते है लेकिन इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे टर्म्स और ऐसे शब्दों का प्रयोग करती है, जिन्हें आपको समझ पाना मुश्किल होता है।

अगर आप भी परेशान है और इन वाहन इंश्योरेंस (Vehicle Insurance) को सही से समझना चाहते है तो फिकर मत कीजिए। डिजिट आपके लिए लाया है इन सभी इंश्योरेंस के बारे में पूरी जानकारी वो भी आसान शब्दों में, जिन्हें समझना आपके लिए आसान हो जाएगा। इसके साथ ही आप इस आर्टिकल की मदद से सही इंश्योरेंस भी चुन सकेंगे।

थर्ड पार्टी पॉलिसी (Third party policy)

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को थर्ड पार्टी लायबिलिटी इंश्योरेंस भी कहा जाता है। इसे आसान भाषा में समझते है। मान लीजिए आपने एक कार खरीदी है और आपने अपने वाहन का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराया है तो आप इसमें फर्स्ट पार्टी है। दूसरी पार्टी वो इंश्योरेंस कंपनी है जिससे आपने इंश्योरेंस लिया है और थर्ड पार्टी वह व्यक्ति/वाहन/संपत्ति है जिसे आपके वाहन से नुकसान हुआ है।

मान लीजिए की आपके वाहन से किसी बाइक सवार को नुकसान हुआ है और आपने थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करा रखा है तो ऐसे में आपका इंश्योरेंस उस बाइक सवार को हुए नुकसान की भरपाई करने से आपको बचा सकता है। आसान शब्दों में आपको उस बाइक सवार को किसी प्रकार का हर्जाना नहीं देना होगा बल्कि आपकी जगह बीमा कंपनी थर्ड पार्टी ( बाइक सवार) को पैसे देगी। हालांकि इस इंश्योरेंस (Vehicle Insurance) पॉलिसी में बीमा कंपनी आपको या आपके वाहन को हुए नुकसान की भरपाई नहीं करती है। इंश्योरेंस कंपनी आपको हुए नुकसान की भरपाई तब करती है जब आपने कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी (comprehensive policy) ले रखी हो।

कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी (Comprehensive policy)

इसे ऐसे समझ सकते है कि मान लीजिए आपने अपनी मेहनत की कमाई से कोई वाहन खरीदा है, जाहिर है आपको उस वाहन से प्यार भी होगा। ऐसे में आप चाहते हो कि मेरे वाहन को कोई नुकसान न पहुंचे और अगर कुछ नुकसान हो भी तो आपको उस नुकसान की भरपाई न करना पड़े। ऐसे में आप कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी (comprehensive policy) की तरफ जा सकते है।

इस तरह की पॉलिसी आपको थर्ड पार्टी को होने वाले नुकसान के साथ-साथ आपके वाहन को होने वाले नुकसान और परेशानियों से बचाती है। फिर वो नुकसान किसी प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना या आग लगने से ही क्यों न हुआ हो। इस तरह की पॉलिसी आपको सभी परेशानियों से बचाती है।

इसके साथ ही कई बीमा कंपनियों के साथ आप भविष्य में अपनी पॉलिसी में कुछ ऐड-ऑन भी करा सकते है। जैसे पैसेंजर कवर, ब्रेकडाउन एसिस्टेंस और जीरो डेप्रिसिएशन इत्यादि। हालांकि कमर्शियल और प्राइवेट वाहन में इनकी शर्ते अलग-अलग है। इस तरह की पॉलिसी में आपको थर्ड पार्टी पॉलिसी की तुलना में ज्यादा पैसों का भुगतान करना पड़ेगा। ज्यादा फायदे मिलने के बावजूद यह भुगतान आपको थोड़ा महंगा पड़ सकता है।

एनसीबी या नो क्लेम बोनस (No Claim Bonus)

इसे आसान भाषा में कुछ यूं समझा जा सकता है कि मान लीजिए आपने अपने वाहन के लिए कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी (comprehensive policy) ले रखी है और आप एक साल तक किसी भी प्रकार का कोई क्लेम नहीं करते है (सिर्फ फर्स्ट पार्टी डैमेज के लिए) तो बीमा कंपनी आपको अपने बीमा के नवीनीकरण में अगली बार कुछ छूट देती है। यह नो क्लेम बोनस छूट 20% से लेकर 50% तक होती है और हर साल यह छूट बढ़ती जाती है। जिसका आप फायदा उठा सकते है।

इसका मुख्य कारण यह भी है कि बीमा कंपनियां फर्जी क्लेम की संख्या कम करना चाहती है, ताकि उपभोक्ता इंश्योरेंस का गलत फायदा न उठा पाएं। निम्न प्रकार से जान सकते है की प्रति वर्ष आपको अपने प्रीमियम में कितनी छूट मिल सकती है।

Claim free years                            No Claim Bonus

  • एक साल बाद                                          20%
  • दो साल बाद                                             25%
  • तीन साल बाद                                          35%
  • चार साल बाद                                          45%
  • पांच साल बाद                                          50%

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