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Uttarakhand Forests Fire : देवभूमि के जंगलों में 4 दिन से धधक रही आग, सेना कर रही बुझाने के प्रयास, नासा की भी नजर

Uttarakhand Forests Fire : देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में नैनीताल के हरे-भरे वन पिछले 4 दिनों से धधक रहे हैं। आग इतनी भयावह है कि इस पर नासा भी नजर रख रहा है, तो सेना भी हेलिकॉप्टर से पानी डालकर आग बुझाने के जतन कर रही है। लेकिन, 4 दिन बाद भी आग पर काबू नहीं […]

Uttarakhand Forests Fire : देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में नैनीताल के हरे-भरे वन पिछले 4 दिनों से धधक रहे हैं। आग इतनी भयावह है कि इस पर नासा भी नजर रख रहा है, तो सेना भी हेलिकॉप्टर से पानी डालकर आग बुझाने के जतन कर रही है। लेकिन, 4 दिन बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। आग से सैकड़ों हैक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है, तो जंगली जीवों की जान को भी खतरा बना हुआ है।

सेना के हेलिकॉप्टर बुझा रहे आग

मनोरा और भवाली के जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए सेना की मदद ली जा रही है। यहां सेना के हेलिकॉप्टर झील से बकेट में पानी भरकर जंगलों में धधकती आग पर डाल रहे हैं। जिसके बाद कुछ जगह तो आग कुछ हद तक काबू में आई है, लेकिन कुछ जगहों पर आग अभी भी तेजी से फैल रही है। जलते जंगलों से उठता धुआं आसपास के आबादी क्षेत्र तक पहुंच रहा है, जिससे लोगों को तकलीफ होने लगी है।

नासा भी रख रहा आग पर नजर

अमेरिका का नासा भी उत्तराखंड की आग पर नजर रख रहा है, सूत्रों के मुताबिक इस महीने पिछले साल के मुकाबले जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ी हैं। पिछले साल अप्रैल में जंगलों में आग की करीब एक हजार घटनाएं सामने आई थीं, जबकि इस बार अप्रैल में जंगलों में आग लगने की घटनाओं का आंकड़ा 3 से 4 गुना बढ़ गया है।

शुष्क मौसम, हवा आग की बड़ी वजह

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं की प्रमुख वजह यहां की परिस्थितियां हैं। लंबे समय तक शुष्क मौसम, तेज गर्मी और हवा की दिशा आग के प्रमुख कारण हैं। जिसकी वजह से जंगल में एक जगह आग लगने पर यह लगातार फैलती रहती है और आग पर काबू पाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।

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हर साल लगती है जंगलों में आग

उत्तराखंड के जंगलों में आग की यह पहली घटना नहीं है। यहां के जंगलों में मार्च से जून तक हर साल ही आग लगने की घटनाएं होती रही हैं। जो बारिश का दौर शुरु होने के बाद खत्म होती हैं। लेकिन, इस साल पिछले साल से कई गुना ज्यादा आग की घटनाएं सामने आई हैं। जो पर्यावरणविद् के साथ उत्तराखंड सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं। लेकिन, अभी तक हर साल जंगलों में लगने वाली इस आग को रोकने का कोई स्थायी समाधान नहीं मिल पाया है।

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