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Sita Samahit Sthal: इस जगह माता सीता समा गयी थीं जमीन के अंदर, अयोध्या से नहीं है ज्यादा दूर

Sita Samahit Sthal: सीता समाहित स्थल (Sita Samahit Sthal) हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा एक पवित्र स्थल है और महाकाव्य रामायण में भगवान राम की पत्नी सीता का अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है। वैसे तो विद्वान सीता द्वारा ली गयी समाधि के स्थल को एक मत नहीं हैं लेकिन यह माना जाता है कि […]

Sita Samahit Sthal: सीता समाहित स्थल (Sita Samahit Sthal) हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा एक पवित्र स्थल है और महाकाव्य रामायण में भगवान राम की पत्नी सीता का अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है। वैसे तो विद्वान सीता द्वारा ली गयी समाधि के स्थल को एक मत नहीं हैं लेकिन यह माना जाता है कि माता सीता वाराणसी और प्रयागराज के बीच भदोही नामक स्थल पर धरती में समा गयी थीं।

बता दें की सीता का जन्म भी जमीन से ही हुआ था। उनका जन्म स्थान बिहार राज्य के सीतामढी जिले में स्थित है। सीतामढी को देवी सीता की जन्मस्थली माना जाता है। इस स्थान पर देवी सीता को समर्पित एक मंदिर है। भक्त देवी सीता को श्रद्धांजलि देने और रामायण से जुड़े पवित्र स्थान को देखने के लिए इस स्थान पर आते हैं।

क्या है पूरी कहानी

रामायण के अनुसार, लंका में राक्षस राजा रावण से भगवान राम द्वारा बचाए जाने के बाद, सीता को अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा। वह आग से सुरक्षित निकल आईं, लेकिन बाद में जब उनकी पवित्रता पर संदेह होने लगा तो उन्होंने धरती पर लौटने का फैसला किया। वाल्मिकी रामायण में उल्लेख है कि उसने धरती माता से उसे वापस लेने की प्रार्थना की और धरती उसे स्वीकार करने के लिए फट पड़ी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भदोही से लगभग 45 किमी दूर मान्यता है कि सीता समाहित स्थल है। यह स्थान भी गंगा किनारे है। इसी स्थल पर माता सीता ने जमीन में समाधि ले ली (Sita Samahit Sthal) थी। आज यहाँ उनका एक विशाल और सुंदर मंदिर है।

अयोध्या में ली थी समाधि

एक कथा यह भी है कि माता सीता, भगवान राम के दरबार में समाधि (Sita Samahit Sthal) ली थी। कथा के अनुसार लव और कुश जब बड़े हो गए तो भगवान राम ने मां सीता को अपने दरबार में बुलाया। राम ने सीता को एक बार फिर अपनी शुद्धता स्पष्ट करने को कहा। इसी बात से आहात होकर मां सीता ने हाथ जोड़ कर धरती माता से उन्हें अपनी गॉड में लेने को कहा। इसके बाद धरती माँ फट गयीं और माता सीता भरे दरबार में जमीन में समा गयीं। अगर इस किंवदंति को सच माना जाए तो माता सीता ने अयोध्या में समाधि ली थी )Sita Samahit Sthal)।

सीता समाहित स्थल बनेगा रामायण सर्किट का हिस्सा

उत्तर प्रदेश सरकार सीता समाहित स्थल को रामायण सर्किट से जोड़ने का विचार कर रही है। बता दें कि सरकार ने रामायण काल ​​के दौरान अयोध्या, चित्रकूट, बिठूर महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं। सरकार इन सभी जगहों को जोड़ कर टूरिज्म का विकास करेगी। यूपी सरकारिन सभी जगहों का पुनर्विकास करने की योजना बना रही है। अयोध्या तो वर्तमान में विश्व का सबसे हॉटेस्ट स्पॉट बन ही चुका है जल्द ही बाकी जगहों पर भी कार्य शुरू करने की योजना है।

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