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Ram in the cave : यहां गुफा में सीता और लक्ष्मण के साथ विराजे हैं श्रीराम, जानिए कहां है ये मंदिर और क्या है इसका इतिहास

Ram in the cave : बांसवाड़ा। आज रामनवमी है। अयोध्या सहित देशभर के विभिन्न श्री राम मंदिरों में भगवान के जन्मोत्सव के अनुष्ठान हो रहे हैं। इस मौके पर हम आपको दर्शन करवा रहे हैं एक ऐसे राम मंदिर के जो कि एक गुफा में बना है। जी हां राजस्थान के बांसवाड़ा में रामकुंड नामक […]

Ram in the cave : बांसवाड़ा। आज रामनवमी है। अयोध्या सहित देशभर के विभिन्न श्री राम मंदिरों में भगवान के जन्मोत्सव के अनुष्ठान हो रहे हैं। इस मौके पर हम आपको दर्शन करवा रहे हैं एक ऐसे राम मंदिर के जो कि एक गुफा में बना है। जी हां राजस्थान के बांसवाड़ा में रामकुंड नामक स्थान ऐसा है, जहां पहाड़ के बीच गुफा में श्रीराम जानकी, लक्ष्मण और हनुमान के साथ विराजे हुए हैं। चलिए जानते हैं इस स्थान के बारे में

बांसवाड़ा से 20 किमी दूर है रामकुंड

रामकुंड नामक स्थान बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां एक ऊंची पहाड़ी पर एक गुफा के भीतर श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमाएं हैं। इसके कुछ दूर सामने की तरफ गहरी गुफाएं हैं। इनमें देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित हैं, जिनमें कुछ खंडित भी हो चुकी हैं। यहां गणेश की प्रतिमाओं के साथ शिवलिंग भी है। दर्शनार्थियों के पहुंचने के लिए ऊंची सीढि़यां बनी हैं। यहां रामकुंड विकास समिति के प्रयासों से सामुदायिक भवन आदि भी बने हैं।

श्री राम ने की यहां शिवलिंग स्थापना

मान्यता है कि ये स्थान त्रेतायुगीन है। उस युग में भगवान श्रीराम वनवास के समय यहां आए थे और उन्होंने ही यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। रामकुंड पहुंचने के बाद सीढ़ियां उतरने के बाद गुफा में यह शिवलिंग दिखाई पड़ता है। जिसकी आज भी नियमित पूजा-अर्चना की जाती है। शिवलिंग के सामने भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा भी है। ये सभी रामायण काल की बताई जाती है।

सीता की प्यास बुझाने राम ने तीर चलाकर निकाला पहाड़ से पानी

मान्यता है कि वनवास के दौरान यहां से गुजरते समय माता सीता को प्यास लगी। चारों तरफ पहाड़ी क्षेत्र और जंगल था। आसपास पानी भी नहीं था। इस पर भगवान ने पहाड़ पर तीर चलाया जिससे पहाड़ का एक हिस्सा कट गया और पानी की धारा फूटने के साथ ही नीचे की ओर कुंड बन गया, जिसे रामकुंड कहा जाता है। पहाड़ की चट्टानों से पानी टपकता है, जो धारा के रूप में परिवर्तित होकर कुंड को भरता है। इस कुंड में पानी भी शुद्ध है।

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बारिश के दिनों में निखरता है सौंदर्य

बरसात के दिनों में हरीतिमा से आच्छादित यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य निखर उठता है और हर किसी का मन मोह लेता है। ऐसे  में ये एक धर्म स्थल होने के साथ ही एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में भी ख्यात हो रहा है। वर्ष भर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस स्थान पर आते हैं और भगवान के दर्शन लाभ लेते हैं।

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भीम ने गदा से बनाया भीम कुंड

रामकुंड से गुफाओं का एक छोर भीमकुंड तक भी जाता है। भीमकुंड के बारे में मान्यता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव भी यहां आए थे और भीम के गदा प्रहार से कुंड का निर्माण हुआ था। श्रद्धालु इस कुंड में भी स्नान करने आते हैं। ऐसे में ये धार्मिक आस्था का केंद्र लोगों को अपनी ओर खूब आकर्षित कर रहा है।

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