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Kailadevi Temple Rajasthan : इस मंदिर में चैत्र में दर्शनों की मान्यता, 40 डिग्री तापमान में भी 6 राज्यों से मीलों पैदल चलकर आते हैं भक्त

Kailadevi Temple Rajasthan : करौली। उत्तर भारत में प्रसिद्ध कैलादेवी आस्थाधाम राजस्थान के करौली जिले में आता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि चैत्र महीने में कैलादेवी मां के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए हर साल राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित 6 राज्यों से श्रद्धालु यहां […]

Kailadevi Temple Rajasthan : करौली। उत्तर भारत में प्रसिद्ध कैलादेवी आस्थाधाम राजस्थान के करौली जिले में आता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि चैत्र महीने में कैलादेवी मां के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए हर साल राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित 6 राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं। जो अप्रैल के महीने में 40-45 डिग्री सेल्सियस तापमान के बावजूद तपती सड़कों पर मीलों का सफर कर कैलादेवी आस्थाधाम पहुंचते हैं।

पदयात्रियों का परंपरागत कैलेंडर

कैलादेवी आस्थाधाम में 2024 के चैत्र लक्खी मेले की शुरुआत 6 अप्रैल से होगी। लेकिन, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों के श्रद्धालु परंपरागत कैलेंडर के मुताबिक शीतला अष्टमी का पूजन करने के बाद ही घर से कैलादेवी मंदिर की पदयात्रा पर रवाना हो चुके हैं। इनमें समीपवर्ती इलाकों के श्रद्धालुओं का अब आस्थाधाम पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं दूरदराज के प्रांतों के श्रद्धालु भी चतुर्दशी तक मंदिर पहुंचकर दर्शन कर लेंगे।

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पैरों में छाले… होठों पर जयकारे

कैलादेवी चैत्र लक्खी मेले में कई राज्यों से श्रद्धालु 200 से 500 किलोमीटर की पदयात्रा कर पहुंचते हैं। चिलचिलाती धूप, गर्म हवाओं के थपेड़े और तपती सड़क पर नंगे पांव पदयात्रा की वजह से भक्तों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं। पैरों में सूजन आ जाती है। इसके बावजूद भक्त मां के जयकारे लगाते हुए लगातार कदम बढ़ाते रहते हैं।

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सेवा की ऐसी होड़ कहीं नहीं दिखेगी

कैलादेवी चैत्र लक्खी मेले में आने वाले पदयात्रियों की सेवा को भी लोग पुनीत कार्य मानते हैं। इसलिए दिल्ली, आगरा तक से कई लोग पदयात्रियों के मार्ग में भंडारे लगाने आते हैं और भक्तों के लिए भोजन, पानी, छाया, विश्राम का प्रबंध करते हैं। इसके लिए भामाशाहों में होड़ रहती है। कैलादेवी आस्थाधाम आने वाले सभी मार्गों पर इसतरह के भंडारे लगते हैं। इन भंडारों में लोग पदयात्रियों की पैरों की मालिश करते और छालों पर मलहम लगाते दिखते हैं, तो कहीं श्रद्धालुओं के लिए भोजन के साथ डीजे लगाकर मनोरंजन की व्यवस्था भी की जाती है।

लाखों भक्त…इसलिए दिनभर दर्शन

कैलादेवी आस्थाधाम में चैत्र लक्खी मेले के दौरान 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। लाखों भक्त मां के दर्शन कर सकें इसलिए मंदिर ट्रस्ट को दर्शनों का समय बढ़ाना पड़ता है। श्री कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी किशनपाल जादौन ने बताया कि चैत्र मेले में सुबह 4 बजे से रात 9 बजे तक लगातार दर्शन खुले रहेंगे। भीड़ ज्यादा होने पर दर्शन समय रात 10 बजे तक बढ़ाया जाएगा।

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नवाचार…भक्तों पर गंगाजल की बौछार

कैलादेवी के दर्शनों के लिए आए भक्तों को गर्मी से राहत मिल सके। इसलिए इस बार मंदिर ट्रस्ट ने नवाचार किया है। जिसके तहत मंदिर में लगे जिगजैग एरिया में पाइपलाइन के जरिए श्रद्धालुओं पर केवड़ा मिश्रित गंगाजल की फुहार छोड़ी जाएंगी। इसके साथ ही कूलर और पंखे भी लगाए गए हैं, तो दर्शनों के लिए लगने वाली कतार में श्रद्धालुओं को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए पानी की बोतल भी दी जाएंगी। वाहनों से आने वाले बुजुर्ग और चलने में असहाय भक्तों को बस स्टैंड से मंदिर परिसर तक पहुंचाने के लिए ई- रिक्शे भी लगाए गए हैं।

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श्रीकृष्ण से जुड़ा है मूर्ति का इतिहास

कैलादेवी मंदिर के इतिहास को लेकर कई कथाएं सुनने को मिलती हैं। बताया जाता है कि भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव और देवकी ने जिस कन्या योगमाया को जन्म दिया, वही कैलादेवी के रुप में यहां विराजित हैं। वहीं कैलादेवी की प्रतिमा को लेकर मान्यता है कि पहले यह मूर्ति नगरकोट में थी। मुगलकाल में मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए मंदिर के पुजारी इसे लेकर जा रहे थे। रास्ते में केदारगिरी बाबा की खो नामक स्थान पर उन्होंने विश्राम किया, तो उन्होंने मूर्ति नीचे रख दी। इसके बाद उन्होंने मूर्ति उठाने की कोशिश तो मूर्ति नहीं उठी और इसे देवी मां की इच्छा समझकर यहीं स्थापित कर दिया गया।

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