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OTT इंडिया विशेष : 15 साल की उम्र आदिवासियों के लिए भोगीलाल पंड्या ने खोली स्कूल

डूंगरपुर: वागड़ के गांधी के नाम से मशहूर भोगीलाल पांड्या ने महज 15 साल की उम्र में आदिवासियो में शिक्षा अलख जगाने के लिए स्कूल खोली थी. भारत छोड़ो आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका रही थी. डूंगरपुर का सबसे बड़ा कॉलेज उनके नाम पर ही है. उनके नाम कई स्कूल भी संचालित होते है. भोगीलाल पंड्या का जन्म 13 नवम्बर, 1904 को डूंगरपुर जिले के सीमलवाड़ा गाँव में हुआ था. उनके पिता का नाम पीताम्बर पंड्या और उनकà The post OTT इंडिया विशेष : 15 साल की उम्र आदिवासियों के लिए भोगीलाल पंड्या ने खोली स्कूल appeared first on otthindi.

डूंगरपुर: वागड़ के गांधी के नाम से मशहूर भोगीलाल पांड्या ने महज 15 साल की उम्र में आदिवासियो में शिक्षा अलख जगाने के लिए स्कूल खोली थी. भारत छोड़ो आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका रही थी. डूंगरपुर का सबसे बड़ा कॉलेज उनके नाम पर ही है. उनके नाम कई स्कूल भी संचालित होते है. भोगीलाल पंड्या का जन्म 13 नवम्बर, 1904 को डूंगरपुर जिले के सीमलवाड़ा गाँव में हुआ था. उनके पिता का नाम पीताम्बर पंड्या और उनकी माता का नाम नाथीबाई था. भोगीलाल पंड्या ने शिक्षा सरकारी स्कूल से ही प्राप्त की, इसके बाद उन्होने डूंगरपूर की एक स्कूल से आगे की पढ़ाई की और उच्च शिक्षा के लिए उन्होने अजमेर जाने का फैसला किया.

बचपन से ही भोगीलाल पांड्या की समाज सेवा में गहरी रूचि थी. वे सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोगों के बीच कार्य करते रहे. 1935 में जब महात्मा गांधी ने आंदोलन शुरू किया तो इसकी चिंगारी राजस्थान में भी आ पहुंची. उसी समय भोगीलाल ने आदिवासी बहुल क्षेत्र डूंगरपूर बाँसवाड़ा में हरिजन सेवक संघ की शुरुआत कर समाज सेवा के लिए एक मंच की स्थापना की. इसके अलावा वागड़ के गांधी के नाम से मशूहर भोगीलाल ने बांगड़ सेवा मंदिर के नाम से एक संस्था की स्थापना की. उनकी गतिविधियों से आशंकित होकर रियासत ने इस संस्था पर रोक लगा दिया. संस्था के बंद हो जाने पर उन्होंने सेवा संघ का गठन किया.

भारत छोड़ो आंदोलन रही अहम भूमिका
1942 के भारत छोड़ों आंदोलन में भोगीलाल पंड्या ने रियासत के कोने -कोने में प्रचार किया और 1944 में रियासती शासन के विरुद्ध उठ खड़े होने के लिए अनेक सभाओं का आयोजन किया. 1944 में डूंगरपुर रियासत भी राजस्थान संघ में मिल गई थी तब भोगीलाल पंड्या को इसमें मंत्री बनाया गया. सुखाड़िया मंत्रिमंडल में भी भोगीलाल दो बार मंत्री बनाए गये.

भोगीलाल को पद्म भूषण से नवाजा
भारतीय शासन व्यवस्था के तहत राजस्थान में पहली सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया. 1969 में उन्हें राज्य के राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया. आदिवासियों, पीड़ितों और वंचितों के लिए आजीवन कार्य करने वाले भोगीलाल को 1976 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से नवाजा गया.
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