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Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा के दिन इस विधि से करें पूजा और पढ़ें ये व्रत कथा, दूर होंगे सभी कष्ट

03:21 PM Feb 09, 2024 | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Magh Purnima 2024: हर माह के अंत में आने वाली पूर्णिमा (Magh Purnima 2024) का अलग ही विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा की तिथि को देवताओं की तिथि माना जाता है। हर माघ में आने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस साल माघी पूर्णिमा 24 फरवरी, श​निवार को मनाई जाएगी। माघी पूर्णिमा में दान और स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और राम भक्त हनुमान की पूजा की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि माघ माह में स्वयं देवी—देवता धरती पर आते है और मनुष्य के रूप में स्नान और दान करते हैं। वहीं शास्त्रों में पूर्णिमा के व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन हर व्यक्ति को पूजा के दौरान माघ पूर्णिमा व्रत कथा पढ़ना चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। तो आइए जानते है माघी पूर्णिमा व्रत कथा:-

माघी पूर्णिम व्रत कथा :-

हिंदू ग्रंथो में माघी पूर्णिमा (Magh Purnima 2024) व्रत के कई कथाओं का वर्णन किया गया है। आज हम आपको उन्हीं में से एक कथा बताने जा रहे है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण रहा करता था। वह ​भिक्षा लेकर अपने जीवन का गुजारा किया करता था। ब्राह्मण और उसकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी। ऐसे ही ​एक दिन ब्राह्मण भिक्षा मांगने के लिए नगर में गया तो लोगों ने उसे बांझ कहकर ताने मारने लगे और भिक्षा देने से भी इंकार कर दिया। इस घटना से ब्राह्मण बहुत दुखी हुआ। तब किसी व्यक्ति द्वारा उसे 16 दिनों तक मां काली की पूजा करने की सलाह दी।

ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने सभी नियमों के साथ मां काली की 16 दिनों तक पूजन किया और उनकी पूजा से प्रसन्न होकर 16वें दिन मां काली प्रकट हुई। मां काली ने ब्राह्मणी को गर्भवती होने का वरदान दिया और कहा कि तुम पूर्णिमा के दिन एक दीपक जलाओ और हर पूर्णिमा पर ये दिया बढ़ाते जाना। जब तक कि ये दीपक कम से कम 32 ना हो जाए। इसके साथ ही दोनों पति पत्नि पूर्णिमा का व्रत रखना।ब्राह्मण दंपति ने मां काली के कहे अनुसार पूर्णिमा का व्रत और दीपक जलाना शुरू कर दिया। इसी बीच में ब्राह्मणी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। पुत्र का नाम उन्होंने देवदास रखा लेकिन देवदास उम्र ज्यादा नहीं थी।

जब देवदास बड़ा हुआ तो वह अपने मामा के सा​थ पढ़ने के लिए ​काशी चला गया। काशी में एक दुर्घटना में धोखे से उसकी शादी हो गई। कुछ समय बाद काल देवदास के प्राण लेने आया लेकिन ब्राह्मण दंपति ने उस दिन अपने पुत्र के लिए ही पूर्णिमा का व्रत रखा था। इस कारण काल उसका चाह कर भी कुछ बिगाड़ ना सका और देवदास को जीवनदान मिल गया। इस लिए कहा गया है कि पूर्णिमा के दिन व्रत करने से व्यक्ति को सभी संकटों से छुटकारा मिल जाता है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

माघ पूर्णिमा पूजा विधि

माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2024) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त सभी दैनिक कार्यो से निवृत होकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करे। इसके बाद भगवान के समक्ष पूर्णिमा व्रत करने का संकल्प ले। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और मां लक्ष्म की विधि विधान के साथ पूजा करे। पूजा के दौरान फल, मिठाई,पंचामृत, नैवेद्य ,वस्त्र और फूल भगवान को अर्पित करे और इसके बाद माघ पूर्णिमा व्रत कथा पढ़े। पूजा के बाद सूर्य भगवान को एक कलश में ​थोड़ा तिल और जल डालकर तर्पण करे और दिन भर भगवान को स्मरण करते रहे। इसके बाद रात में चंद्र दर्शन के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दे और इसके उपरांत ही अपना व्रत खोले। मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा सुनना और पढ़ना भी बेहद शुभ व पुण्यदायी माना गया है।

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