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Loksabha Election Postal Ballot : मतदान में सर्विस वोटर्स की बढ़ी हिस्सेदारी…2019 में 20.8 लाख डाक मत मिले, अब बनेगा नया रिकॉर्ड ?

Loksabha Election Postal Ballot : दिल्ली। चुनाव लोकसभा का हो…विधानसभा का हो या स्थानीय निकाय का। चुनाव में एक- एक वोट मायने रखता है। साल 2008 में राजस्थान में कांग्रेस नेता सीपी जोशी महज एक वोट से विधानसभा का चुनाव हार गए थे, लिहाजा आप समझ सकते हैं कि लोकतंत्र के इस महापर्व में एक- […]

Loksabha Election Postal Ballot : दिल्ली। चुनाव लोकसभा का हो…विधानसभा का हो या स्थानीय निकाय का। चुनाव में एक- एक वोट मायने रखता है। साल 2008 में राजस्थान में कांग्रेस नेता सीपी जोशी महज एक वोट से विधानसभा का चुनाव हार गए थे, लिहाजा आप समझ सकते हैं कि लोकतंत्र के इस महापर्व में एक- एक वोट कितना कीमती है। इस कड़ी में हम बात रहे हैं लोकसभा चुनाव में सर्विस वोटर्स की भागीदारी की।

सर्विस वोटर्स में बढ़ा वोटिंग का रुझान

देश में लोकसभा-विधानसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट से मतदान करने वाले सर्विस वोटर्स में कुछ साल पहले तक मतदान को लेकर ज्यादा रुझान नजर नहीं आता था। इनकी बहुत कम हिस्सेदारी लोकसभा के चुनाव में हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब सर्विस वोटर्स में भी वोटिंग को लेकर अवेयरनेस आई है। जिसका नतीजा है कि लोकसभा चुनाव में सर्विस वोटर्स का मतदान प्रतिशत 0.16 फीसदी से बढ़कर 2019 के चुनाव में 0.46 प्रतिशत हो चुका है।

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2019 के चुनाव में 20.8 लाख वोट

लोकसभा चुनाव में साल 2004 में महज 6.1 लाख वोटर्स ने पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान किया था। जो कुल मतदान का महज 0.16 प्रतिशत था। लेकिन अच्छी बात यह है कि इसके बाद से सर्विस वोटर्स में मतदान को लेकर जागरुकता लगातार बढ़ी है। जिसकी बानगी 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में 11.5 लाख वोटर्स ने पोस्टल बैलेट से वोटिंग की, तो 2019 में पोस्टल बैलेट से मतदान करने वालों का आंकड़ा 20.8 लाख तक पहुंच गया। लिहाजा माना जा रहा है इस बार पोस्टल बैलेट से मतदान का नया रिकॉर्ड बनेगा।

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डाक मतपत्र में सबसे अव्वल यूपी

डाक मतपत्र को लेकर वोटर्स में रुझान लगातार बढ़ा है। पिछले चुनावों में पोस्टल बैलेट से वोटिंग करने वालों में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु की कुल डाक मतपत्रों में 7 से 10 फीसदी की हिस्सेदारी रह चुकी है। वहीं पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और केरल की कुल डाक मतपत्रों में हिस्सेदारी  3 से 6 प्रतिशत के बीच रही है।

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