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Loksabha Election 2024: राजस्थान के बांसवाड़ा का कर्नाटक के बेल्लारी से कैसे जुड़ा चुनावी रिश्ता ?

Loksabha Election 2024 Banswara Bellari :  बांसवाड़ा। देश में लोकसभा चुनाव का महासंग्राम चल रहा है…सियासी संग्राम के बीच नेताओं का दल बदल भी जारी है। इस बीच बात 1999 के लोकसभा चुनाव में सीट की अदला बदली के एक रोचक किस्से की, जिसने राजस्थान के बांसवाड़ा का कर्नाटक के बेल्लारी के साथ चुनावी रिश्ता […]

Loksabha Election 2024 Banswara Bellari :  बांसवाड़ा। देश में लोकसभा चुनाव का महासंग्राम चल रहा है…सियासी संग्राम के बीच नेताओं का दल बदल भी जारी है। इस बीच बात 1999 के लोकसभा चुनाव में सीट की अदला बदली के एक रोचक किस्से की, जिसने राजस्थान के बांसवाड़ा का कर्नाटक के बेल्लारी के साथ चुनावी रिश्ता जोड़ दिया।

जनता दल को मिली थी बेल्लारी सीट

साल 1999 के लोकसभा चुनावों में जनता दल एकीकृत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा था। चुनाव के दौरान सीटों का बंटवारा हुआ तो कर्नाटक के बेल्लारी की लोकसभा सीट जनता दल को मिली। लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने ऐलान किया कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी रायबरेली के साथ कर्नाटक की बेल्लारी सीट से भी चुनाव लड़ेंगी। यहीं से राजस्थान के बांसवाड़ा और कर्नाटक के बेल्लारी के बीच चुनावी रिश्ता बना।

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एनडीए ने जनता दल से ली बेल्लारी सीट

कांग्रेस की सोनिया गांधी के रायबरेली के साथ बेल्लारी से चुनाव लड़ने का ऐलान हुआ, तो एनडीए ने भी अपनी रणनीति बदल दी। एनडीए ने बेल्लारी में सोनिया गांधी के सामने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को चुनाव मैदान में उतार दिया। लेकिन, इससे जनता दल को गठबंधन के तहत मिली अपने हिस्से की यह सीट खोनी पड़ी। यह बात कर्नाटक के जनता दल एकीकृत के नेताओं ने आलाकमान तक पहुंचाई। इसके बाद भाजपा और जनता दल के नेताओं की बैठक हुई और इस बैठक में हुए एक फैसले ने बेल्लारी और बांसवाड़ा के बीच राजनीतिक रिश्ता जोड़ दिया।

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जनता दल को दे दी बांसवाड़ा सीट

भाजपा ने चुनावी गठबंधन में बेल्लारी सीट की एवज में जनता दल एकीकृत को राजस्थान के बांसवाड़ा की सीट दी। उस समय बांसवाड़ा के तीन विधानसभा क्षेत्रों दानपुर, कुशलगढ़ और बागीदौरा में जनता दल का प्रभाव भी था। ऐसे में 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बांसवाड़ा सीट पर जनता दल को समर्थन दे दिया। जनता दल एकीकृत के राजेश कटारा बतौर गठबंधन प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। उन्हें चुनाव चिह्न भी तीर मिला। हालांकि इस चुनाव में विजयश्री कांग्रेस के ताराचंद भगोरा को मिली। लेकिन गठबंधन की वजह से सीटों की इस अदला बदली ने दो राज्यों की दो सीटों के बीच रोचक चुनावी किस्से को जन्म दे दिया।

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