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GYANVAPI CASE: ज्ञानवापी से जुड़े दो मामलों में सुनवाई आज, मुस्लिम पक्ष ने तहखाने में पूजा पर रोक लगाने की मांग की

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। GYANVAPI CASE: ज्ञानवापी से जुड़े दो मामलों पर आज सुनवाई होगी। तहखानों (GYANVAPI CASE) में पूजा पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई होनी है। मुस्लिम पक्ष ने 15 दिनों के लिए बेसमेंट पूजा पर रोक लगाने की मांग की। आज इसी मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई है। कोर्ट के आदेश […]

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। GYANVAPI CASE: ज्ञानवापी से जुड़े दो मामलों पर आज सुनवाई होगी। तहखानों (GYANVAPI CASE) में पूजा पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई होनी है। मुस्लिम पक्ष ने 15 दिनों के लिए बेसमेंट पूजा पर रोक लगाने की मांग की। आज इसी मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई है। कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी की देर रात बेसमेंट में पूजा शुरू हो गई। याचिकाकर्ता राखी सिंह ने जिला जज की अदालत में याचिका दायर की। ज्ञानवापी परिसर में बंद छह अन्य तहखानों के एएसआई सर्वेक्षण का अनुरोध किया गया है। दोनों मामलों की सुनवाई जिला जज की अदालत में होगी। सुनवाई दोपहर 2 बजे होनी है।

राज्य सरकार अपना पक्ष रखेगी

अंजुमन मस्जिद कमेटी की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका के तहत समिति ने मांग की है कि 31 जनवरी को जिला (GYANVAPI CASE) जज वाराणसी द्वारा हिंदू पक्ष को पूजा की इजाजत देने के फैसले पर रोक लगाई जाए। मामले की आखिरी सुनवाई 12 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई थी। इस दिन मस्जिद प्रबंधन कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा। 15 फरवरी को होने वाली सुनवाई में हिंदू पक्ष और राज्य सरकार कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।

मुस्लिम पक्ष की दलीलें

पिछली सुनवाई के दौरान मस्जिद (GYANVAPI CASE) समिति के वकील एसएफए नकवी ने डीएम को रिसीवर नियुक्त करने के 17 जनवरी के आदेश पर सवाल उठाए थे। पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने यह भी आरोप लगाया था कि 31 जनवरी को जिला जज ने वादी के प्रभाव में आकर आदेश पारित किया था। मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि जिला जज ने वादी द्वारा कही गई बात को अंतिम सत्य या ईश्वरीय सत्य मान लिया। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि 31 साल बाद व्यासजी के तहखाने पर किसका हक है, इसका कोई लिखित बयान नहीं है। इस बीच, मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि बाबरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मांग पर जमीनी जांच के बाद याचिका खारिज कर दी थी। निर्मोही अधिकार अखाड़े का। लेकिन ज्ञानवापी मामले में 31 साल बाद जब हिंदू पक्ष ने अपना हक मांगा तो निचली अदालत ने उनकी दलील मान ली।

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