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Gyanvapi: ज्ञानवापी परिसर की ASI रिपोर्ट हो सकती है सार्वजानिक, हिन्दू पक्ष, जानिए किन सवालों के जवाब रिपोर्ट में बंद…

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Gyanvapi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी मंदिर मस्जिद विवाद में कोर्ट ने जांच के लिए ए एस आई को समय दिया था। वो समय पूरा हुआ और उसकी तीन रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है। 24 जनवरी बुधवार को कोर्ट ने इस रिपोर्ट को दोनों पक्षों को सौंपने को कहा है। हिन्दू और […]

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Gyanvapi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी मंदिर मस्जिद विवाद में कोर्ट ने जांच के लिए ए एस आई को समय दिया था। वो समय पूरा हुआ और उसकी तीन रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है। 24 जनवरी बुधवार को कोर्ट ने इस रिपोर्ट को दोनों पक्षों को सौंपने को कहा है। हिन्दू और मुस्लिम पक्षों के बीच जगह को लेकर धार्मिक (Gyanvapi) अनबन बनी हुई है।

कोर्ट ने क्या कहा?

वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी (Gyanvapi) पर सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने पूरी रिपोर्ट हिन्दू और मुस्लिम पक्ष को हार्ड कॉपी में देने के आदेश दिए है। इससे पहले इस रिपोर्ट को ईमेल के जरिया सौपने का विरोध भी हुआ था। अब हार्ड कॉपी के लिए दोनों ही पक्षों ने सहमती जताई है। कोर्ट ने इसकी प्रतियाँ दोनों पक्षों को देने के बाद आगे की सुनवाई की बात कही।

क्या है ज्ञानवापी विवाद?

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi) में विवाद की शुरुआत 1991 में हुई थी। परन्तु अभी हाल ही में हिन्दू पक्षों ने ज्ञानवापी परिसर को हिन्दू धार्मिक स्थल बताया। जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ये उनकी धार्मिक स्थली है। इसलिए दोनों के बीच विवाद के चलते कोर्ट में मामला गया। इसके बाद कोर्ट ने इसकी जांच ए एस आई टीम को सौंपी।

जांच के स्तर को समझिये…

ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi) में कोर्ट से जांच के आदेश आने के बाद जांच करीब 84 दिनों तक चली। इस जांच में फोटो, वीडियो, जी पी आर समेत कई सतहों को खंगाला गया। भारतीय वैज्ञानिकों के साथ साथ अमेरिका के भी सर्वे एक्सपर्ट इसमें शामिल हुए। इसकी जांच रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 10 मीटर तक की गहराई का 4 सौ से 9 सौ मेगाहर्ट्ज रेंज की रडार का उपयोग किया गया। रिपोर्ट बनाने में क्रमशः 36 और 30 दिन लगे।

रिपोर्ट के लिफाफे में किन सवालों के जावाब बंद

ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi) में जांच से ये पता करना था कि असल में इस जगह पर क्या मंदिर के कोई अवशेष हैं? या मंदिर का किसी भी तरह का को अस्तित्व भी है, जिसका हिन्दू पक्ष दावा कर रहे हैं। अगर है तो ये तय करना होगा कि मंदिर को ध्वस्त कर या उसके ऊपर मस्जिद बनाई गयी है? परिसर में बनी हर कलाकृति कौनसे धर्म से वास्ता रखती है और कितनी पुरानी है? वहां मौजूद एक कलाकृति को हिन्दू पक्ष शिवलिंग बता रहा है और मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा कह रहा है। उसकी असल सच्चाई क्या है? इन सवालों के जवाब आ गए हैं परन्तु अभी एक लिफाफे में बंद है।

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