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गीता जयंती विशेष: घर में श्रीमद्भागवत गीता रखते है तो रखें इन बातों का ध्यान

गीता जयंती विशेष: आज गीता जयंती है। इस वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को गीता की 5160 वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। श्रीमद्भागवत गीता एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी उत्पत्ति स्वयं श्रीकृष्ण के मुख से हुई। इसमें रणभूमि के दौरान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद है। हिंदू […]

गीता जयंती विशेष: आज गीता जयंती है। इस वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को गीता की 5160 वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। श्रीमद्भागवत गीता एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी उत्पत्ति स्वयं श्रीकृष्ण के मुख से हुई। इसमें रणभूमि के दौरान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद है। हिंदू धर्म में 18 पुराण, 4 वेद प्रमुख माने गए है, लेकिन इन सब के अलावा भी कई ऐसे ग्रंथ है जिन्हें मान्यता मिली हुई है। श्रीमद्भागवत गीता भी उन्हीं में से एक है इसे सभी ग्रंथों में सबसे पवित्र माना गया है। माना जाता है कि जयंती के दिन गीता के श्लोक पढ़ने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने घर में श्रीमद्भागवत गीता रखते है, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें।

1. श्रीमद्भावत गीता एक पवित्र ग्रंथ है, जहां पर भी यह रहती है उस घर में पवित्रता का संचार बना रहता है। इसलिए आप घर के जिस कमरे में भागवत गीता रखते है,वहां कभी जूता—चप्पल लेकर नहीं जाए। गीता को साफ स्थान पर रखे और साफ सफाई का विशेष ध्यान दें। भूलकर भी मांस—मं​दिरा का सेवन ना करें।

2. श्रीमद्भागवत गीता को हमेशा पूजा के स्थान पर रखा जाता है और विधि विधान के साथ नियमित रूप से पूजा की जाती है। लेकिन कई लोगों को इसके बारें में कोई जानकारी नहीं होती। वहीं पूजा करते समय कभी भी दूसरों का आसन नहीं लेना चाहिए इससे पूजा पाठ का प्रभाव कम होता है।

3. इस बात का खास ध्यान रखें कि गीता का भूलकर भी नीचे जमीन पर ना रखें। इसे हमेशा लकड़ी के स्टैंड पर रखें। अगर आपके घर में लकड़ी का स्टैंड नहीं है तो आप इसे लाल कपड़े में लपेटकर भी रख सकते है। इसके अलावा गीता को स्नान किए बिना कभी ना छुए ना पढ़े।

4. आपने जिस कमरे में श्रीमद्भागवत गीता को रखते है, उस कमरे में भूलकर भी खाना ना खाएं, ना ही कभी जूठे हाथ लगाएं। वहीं श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करते समय बीच में ना उठे और ना ही कोई भी अध्याय अधूरा छोड़े। अध्याय को बीच में छोड़ कर उठना अशुभ माना जाता है।

5. गीता का पाठ करते समय मन का शांत होना बेहद आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि अध्याय को पढ़ते समय मन में किसी भी प्रकार के बूरे विचार ना आए। वहीं अगर आप नियमित रूप से गीता का पाठ नहीं कर सकते है, तो आप इसे एकादशी के दिन भी पढ़ सकते है।

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