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Dhar Bhojanshala Survey: धार की भोजशाला में सूर्योदय के साथ शुरू हुआ ASI का सर्वे,पुलिस बल के साथ प्रशासनिक अमला मौके पर मौजूद

Dhar Bhojanshala Survey: हाई कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के धार में ऐतिहासिक परमारकालीन भोजनशाला (Dhar Bhojanshala Survey) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने आज सुबह 6 बजे से सर्वे का काम शुरू कर दिया है। सर्वे का काम आज दोपहर 12 बजे तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद जुमे की […]

Dhar Bhojanshala Survey: हाई कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के धार में ऐतिहासिक परमारकालीन भोजनशाला (Dhar Bhojanshala Survey) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने आज सुबह 6 बजे से सर्वे का काम शुरू कर दिया है। सर्वे का काम आज दोपहर 12 बजे तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद जुमे की नमाज की तैयारी होगी। दरअसल शुक्रवार की वजह से भोजशाला में मुस्लिम समाज को नमाज पढ़ने की अनुमति है। वहीं दूसरी तरफ सर्वे के दौरान परिसर के आसपास भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि ऐतिहासिक परमारकालीन भोजनशाला को माता वाग्देवी का मंदिर बताते हुए हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने उस स्थान पर हिंदू समाज के लोगों के पूजा का अधिकार देने की मांग को लेकर एक याचिका ​दाखिल की थी।

सर्वे में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल

Dhar Bhojanshala Survey

धार में ऐतिहासिक परमारकालीन भोजनशाला में सर्वे का काम शुक्रवार की सुबह 6 बजे से चल रहा है। पुलिस बल के साथ प्रशासनिक अमला भी मौके पर मौजूद है। जानकारी के अनुसार दोपहर 12 बजे सर्वे का पहला चरण पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद मुस्लिम समाज द्वारा नमाज अदा किया जाएगा। इसके बाद सर्वे का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा। वहीं इस सर्वे के लिए चल-अचल वस्तु, दीवारें, खंभों, फर्श की जांच के लिए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा हाईकोर्ट ने भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे जीपीआर और जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) से करने को कहा है। परिसर में स्थित हर चीज की जांच कार्बन डेटिंग पद्धति से किया जाएगा कि वह कितने साल पुरानी है।

जानिए कितना पुराना है इससे जुड़ा विवाद

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धार में ऐतिहासिक परमारकालीन भोजनशाला का विवाद काफी पुराना है। इस मामले पर हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर का स्थान हैं। इस भोजनशाला में देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक आज भी लिखे हुए है। लेकिन अंग्रेज अधिकारी इस मंदिर में लगी वाग्देवी की मूर्ति को अपने साथ लंदन ले गए थे। वहीं संगठन की तरफ से कोर्ट में एडवोकेट विष्णुशंकर जैन और एडवोकेट हरिशंकर जैन ने कहा था कि इससे पहले भी जो सर्वेक्षण हुए है उसमें यह साफ था कि यह पहले वाग्देवी का मंदिर है। कोर्ट में सुनवाई के बाद एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया गया था। अब एएसआई टीम को कोर्ट में 29 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।

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