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Blue Lava Volcano: दुनिया का इकलौता ज्वालामुखी जिससे निकलता है नीला लावा,जानें इसके पीछे का रहस्य

06:20 PM Dec 23, 2023 | Juhi Jha

Blue Lava Volcano: ज्वालामुखी का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में पहाड़ की चोटी से बहते लाल लावा की छवि बनने लगती है। वैसे तो पृथ्वी पर ज्वालामुखी तो बहुत हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ज्वालामुखी के बारे में बताने जा रहे है जो नीला लावा उगलता है। यह ज्वालामुखी इंडोनेशिया के जावा में बानयूवांगी रीजेंसी की सीमा पर स्थित है। यह एक प्राकृतिक घटना है। यह ज्वालामुखी अपनी 4 चीजों के लिए मशहूर है। जिसमें नीला लावा,एसिडिक क्रेटर झील,नीली आग और सल्फर के खनन शामिल है। इस ज्वालामुखी पर जाने के लिए लोगों को मास्क लगा कर जाना होता है। किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह दिखने वाला यह ज्वालामुखी सालों से वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बना हुआ है। तो आइए जानते है इस ज्वालामुखी के पीछे का रहस्य:—

नीला लावा का रहस्य

इस ज्वालामुखी के अंदर से निकलने वाला लावा आम वोल्केनो से बिल्कुल अलग है। इस लावा का रंग चमकीला नीला है। रात के समय जब यह ज्वालामुखी बहते हुए नजर आता है तो वह दृश्य काफी महमोहक होता है। इस ज्वालामुखी के लावा का रंग शुरू से ही नीला नहीं है। दरअसल इस ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा सामान्य और वोल्केनो की ही तरह है लेकिन इस ज्वालामुखी के क्रेटर में सल्फ्यूरिक गैस है और उससे रियेक्ट करने की वजह से ही इसका रंग नीला हो जाता है।

कावा इजेन ज्वालामुखी

इस ज्वालामुखी का नाम कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) है। इस ज्वालामुखी का कोल्डरा करीबन 20 किलोमीटर तक चौड़ा है। जानकारी के अनुसार यहां पर एक साथ कई पहाड़ो का कॉम्प्लेक्स है जिसमें गुरूंग मेरापी स्ट्रैटोवॉल्कैनो सबसे डरावना है। यहीं से नीला लावा और नीली आग निकलती है। यहां गुरूंग मेरापी के नाम का अर्थ ही आग का पहाड़ है। वहीं क्रेटर से निकलने वाली आग की लंबाई 16 फीट ऊंची होती है। आखिरी बार कावा इजेन ज्वालामुखी 1999 में फटा था।

तेजाब की झील

यहां पर एक क्रेटर है, जो 1 किलोमीटर तक के व्यास में फैला हुआ है। इसमें नीले रंग का पानी है जो पूरी तरह से एसिडिक यानि तेजाब की झील जैसी है। स्थानीय लोग यहां पर सल्फर का खनन करके ले जाते है। वहीं कावा इजेन ज्वालामुखी जहां से नीला लावा निकलता है उसका व्यास 722 मीटर है और यह क्रेटर करीबन 200 मीटर गहरा है। जब लोगों की इस ज्वालामुखी के बारे में जानकारी मिली तब ही से यह जगह पर्यटक स्थल में बदल गया। लोग रात में यहां माउंटेन हाइकिंग के लिए आते है और इस ज्वालामुखी तक पहुंचने के लिए लोगों केमिकल मास्क लगा कर जाना पड़ता है। वहीं स्थानीय लोग इस ज्वालामुखी को अपी बीरू या​नी नीली आग बुलाते है।

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